साहित्यकार राजेश गोयल
मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
डरा कवि
विवाह मण्डप से भाग गया
उसकी हिम्मत जवाब दे गयी
नहीं
वास्तव में
उसकी हिम्मत लौट आयी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें